Wednesday, May 4, 2011

तुम हो तो

तुम सपना हो तो फिर एक अतीत हो
तुम सुबह हो तो फिर मेरी उम्मीद हो

तुम रात हो तो सपनो का दीप हो
तुम सुबह हो तो फिर एक ओझल संगीत हो

तुम अमावस्या हो तो फिर काली रात हो
तुम पूर्णिमा हो तो फिर चांदनी की बरसात हो
तुम सावन हो तो खुशियों का उमंग  हो 
तुम बारिश हो तो फिर इन्द्रधनुष का रंग हो

तुम इंतज़ार हो तो मिलन का ऐतबार हो
तुम मिलन हो तो फिर मंजिल का द्वार  हो

तुम थोडा हो तो अंश हो मेरा
तुम भूत तो फिर भविष्य हो मेरा

तुम हो तो ...........कीर्ति राज
 





4 comments:

  1. bade hee sundar bhaw, amuman ye dekhne ko nahee milta hai ki koi andhere aur ujale dono pakshon ko swikar kare. but kavita iske bilkul bipreet hai.
    bahut sundar

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  2. शानदार, सीमित शब्‍द असीमित भावनाएं, सुंदर

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  3. do vipreet upmaaon ko saath lekar ek mein guunthne ka kaam prashansneey hai.............saadhuvaad!

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