Monday, August 31, 2009

बाबर मन


झूमे जिया मेरा मन बाबर
कहे सताए न आये पिया
मन के भवर मे गोते लगाये
वो छलिया मेरा बैरी पिया
संग न हो मै कैसे करू बतिया
आखे जो मिचु अपनी पाउ उसे सखिया
भोले पिया तरसे मेरी रतिया
वो छलिया मेरा बैरी पिया
जुल्फों से खेले ये पुरबैया
मन मे चुभोये यादो की सुईया
मै बाबरी समझी आये मेरे पिया
वो छलिया मेरा बैरी पिया
सोला श्रींगार मेरा खाली पड़ा
आखों से काजल गए माथे से बिंदिया
दर्पण ने भाये मोहे कब आओगे पिया
वो छलिया मेरा बैरी पिया

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