Friday, March 18, 2011

दर्द

                                                      
मेरे जीवन का सारांश है ये दर्द
मेरे स्नेह का प्रमाण है ये वर्ष 
कितनी खुबसूरत है ये आसुओ की माला
कितना नायाब है ये विरह का रोग 
फिर क्यों कहते हो मेरे दर्द को शोक

आँखों पर पर्दा है सबके
या अनदेखा करते है लोग
ये दर्द ही तो एक ज़रिया है 
जो रखता है तुम्हे हर ओर

लोग कहते है 
ये मेरा पागल मन है
मेरी दीवानगी और मेरी आंखे नम है
लेकिन जब भी पूछती हु खुद से
तो अक्सर कहते हो तुम 
ये तुम्हारा नहीं दुनिया वालो का भ्रम है  

कितनी रम गई हूँ इस दर्द में
कितना ख़ूबसूरत एहसास है ये
लगता है जैसे पा लिया हो
तुम्हे फिर से
 
कितने पागल है वो लोग
जो दर्द को खुशियो से तोलते है
इस दर्द में इतनी तृष्णा है
की जितनी मै डूबती जाती हूँ
उतने ही पास तुम्हे पाती हूँ........ 
Written by: Kirti Raj