तुम सपना हो तो फिर एक अतीत हो
तुम सुबह हो तो फिर मेरी उम्मीद हो
तुम रात हो तो सपनो का दीप हो
तुम सुबह हो तो फिर एक ओझल संगीत हो
तुम अमावस्या हो तो फिर काली रात हो
तुम पूर्णिमा हो तो फिर चांदनी की बरसात हो
तुम सावन हो तो खुशियों का उमंग हो
तुम बारिश हो तो फिर इन्द्रधनुष का रंग हो
तुम इंतज़ार हो तो मिलन का ऐतबार हो
तुम मिलन हो तो फिर मंजिल का द्वार हो
तुम थोडा हो तो अंश हो मेरा
तुम भूत तो फिर भविष्य हो मेरा
तुम हो तो ...........कीर्ति राज