Thursday, February 21, 2013

'मै'........




 हर तरफ  बस 'मै' ही 'मै' हूँ
मेरे अन्दर 'मै', मेरे बाहर 'मैं'
इर्द- गिर्द भीड़ मे भी 'मै' हूँ
'मै' मेरे जस्बात मे ,'मै'  मेरे विश्वास मे
मेरे गुरुर मे भी 'मैं' हूँ
'मैं' मेरे अस्तित्व मे  , 'मैं' मेरे नादानियो मे 
मेरे बेमानिओ मे भी 'मैं' हूँ
हर ज़र्रे-ज़र्रे मे 'मैं'
मेरी आँखों मे 'मैं', मेरी बातों में 'मैं'
मेरे घमंड और तकदीर मे भी 'मैं' हूँ
शून्य मे 'मैं', हवा मे 'मैं'
आग और पानी मे भी 'मैं' हूँ
चिडियों की चहचहाहट मे 'मैं' ,
पानी के झरने मे 'मैं'
इस कुदरत में भी 'मैं' हूँ
'मैं' इधर- उधर हर तरफ हूँ
बस 'मैं' हूँ और 'मैं' ही  हूँ
'मैं'........