हर तरफ बस 'मै' ही 'मै' हूँ
मेरे अन्दर 'मै', मेरे बाहर 'मैं'
इर्द- गिर्द भीड़ मे भी 'मै' हूँ
'मै' मेरे जस्बात मे ,'मै' मेरे विश्वास मे
मेरे गुरुर मे भी 'मैं' हूँ
'मैं' मेरे अस्तित्व मे , 'मैं' मेरे नादानियो मे
मेरे बेमानिओ मे भी 'मैं' हूँ
हर ज़र्रे-ज़र्रे मे 'मैं'
मेरी आँखों मे 'मैं', मेरी बातों में 'मैं'
मेरे घमंड और तकदीर मे भी 'मैं' हूँ
शून्य मे 'मैं', हवा मे 'मैं'
आग और पानी मे भी 'मैं' हूँ
चिडियों की चहचहाहट मे 'मैं' ,
पानी के झरने मे 'मैं'
इस कुदरत में भी 'मैं' हूँ
'मैं' इधर- उधर हर तरफ हूँ
बस 'मैं' हूँ और 'मैं' ही हूँ
'मैं'........
मैं ही मैं बस मैं ही मैं ...
ReplyDeleteमैं होना कोई गुनाह तो नहीं ...
Ek Sach...
ReplyDeleteEk sach jo kabhi hoton par aane se rahi,
Ek sach jo ab tak hai un kahi,
Ek sach jo uthata hai is dl me sailaab,
Ek sach jo sach hokar bhi hai ek khwab,
Ek sach jo khamosi se karti hai shore,
Ek sach jo le jaati mujhe har pal teri ore,
Ek sach jo har shaam ko kar jaati hai summ,
Ek sach jo sirf aur sirf ho tum!!!!!
vikas singh
naswa jii@ kabhi kabhi hum mai ki talash mein mai ko kho detay h...kabhi gunah karte h kabhi khud ko saja detay h...kabhi ye mai hume khota h aur kabhi hum isse patay h....
ReplyDeletevikas@ bahut khub hamari kawita ko ek apki kawita ne saraha,,,nice one......
ReplyDeleteVery beautiful... yes sach me her jagah mai hi hu...
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ReplyDeleteमैं में हम हैं और हम में सब हैं
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