तुम्हे दर्द पहुचाने का गुनाह है मेरे जिम्मे
कुछ ऐसे ही टूटे बिखरे शब्द
जिन्हें समझ बैठे तुम धोका
तुमसे विश्वासघात करने का इलज़ाम है मेरे जिम्मे........
शायद माफ़ भी कर दो मेरी भूलो को तुम
लेकिन खुद को नीलम करने का फरमान है मेरे जिम्मे
तुमको दर्द पहुचाने का इलज़ाम है मेरे जिम्मे
दरिया दिल तो तुम या पाख फ़रिश्ते
तुम्हारी अच्छाई को दफ़नाने का इलज़ाम है मेरे जिम्मे
खुद को कैसे टटोलू मै
अपने शीशे को नंगा करने का इलज़ाम है मेरे जिम्मे
बेशब्द हूँ मै और बेगैरत भी
तुम्हे शर्मिंदा करने का एहसास है मेरे जिम्मे
एक आखिरी गुज़ारिश है मेरी
एक बार फिर सा अपना दामन पकड़ा दो
एक बार फिर से अपने प्यार के आगोश में ढक लो
चुरा लो फिर से इस दुनिया सा मुझ को
फिर से मेरे हो जाओ .......