क्या है ये शून्य.......................
क्या आकाश की बस्ती मे बादलों का खोना
या जुलाई के मौसम मे बारिश का होना
या रात के सन्नाटे मे हर आँखों का सोना
या आँखों मे खवाब भर के शब्दों को पिरोना
क्या है ये शुन्य......................
सुखी मिटटी मे पानी के हर बूंद का खोना
या घने जंगल मे मकड़ी का जालो को पिरोना
या लहरों के पीछे हर लहरों का होना
या गिले रेट मे हर कीर्ति का बहना
क्या है ये शुन्य...........................
रात के सन्नाटे मे घरी की टिक-टिक का होना
या सुबह-सुबह चिरियो के गीतों का होना
या किसी तानसेन के ताल मे खोना
क्या है ये शुन्य...........................
भीर मे अकेला होना
या दूर एक सुनसान सड़क पर सोना
या रात-रात भर जाग कर अपनी हार पर रोना
या रो-रो कर फिर से सोना
क्या है ये शुन्य...........................
शारीर का मिटटी मे मिलना
या नए किलकारी का जन्म होना
ये जानकर भी उस चक्र मे खोना
या पाना या पाकर भी खोना
क्या है ये शुन्य..............................
पागलो की तरह शब्दों से लड़ना
या तोड़ मोड़ कर आशावो को जोड़ना
या आधी रात मे सड़क का सन्नाटे मे होना
और सन्नाटे के संग अपनी रूह का खोना
या पागलपन की बाते करना
या पागलपन मे जीना
क्या है ये शुन्य.............................
रातो मे जाग कर शब्दों से बाते करना
या अपने सवालो से शब्दों को ठगना
या शुन्य की तलाश मे शुन्य को खोना
क्या है ये शून्य..............................
very good.
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