Sunday, July 25, 2010

मेरे जैसी

क्या तुमने कभी
मेरे चेहरे की झुर्रियो को देखा है
क्या सफ़ेद बालो का गुच्छा
और ज़बान की लड़खड़ाहट देखि है
देखा तो था तुमने मेरे योवन का रूप
पर क्या उम्र की दहलीज़ देखि है
देखा तो था तुमने मुझ्रे
तब्ती धूप और तूफान मे तुम्हारा इंतज़ार करते
पर क्या उस बूढी आँखों की प्यास देखि है
देखा तो था तुमने मुझे
इतराते और शरमाते
पर क्या मेरे बातो की गंभीरता देखि है
देखा तो था तुमने मेरी अटखेली
और मेरा जूनून से भरा प्यार
पर क्या अब् तक उस प्यार की डोर देखि है
हूँ तो नहीं मै उस जैसी अब्
पर क्या उसका इंतज़ार मुझ जैसा है
होगी वो बहुत सुन्दर,चंचल और निर्मल
पर क्या उसका शीशा मुझ जैसा है
प्यारी तो वो है तुम्हारी अब् भी
पर क्या उसका प्यार मुझ जैसा है
उसने तो बस प्यार को चखा है
पर क्या उसका इंतज़ार मुझ जैसा है
बैठी हू मै अब् भी इस पार
फिर कैसे वो मुझ जैसा है

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