Saturday, October 8, 2016

"कहाँ है"

"कहाँ है"
बादलो का जंगल
बारिशो की हलचल
आधे पुनर्जन्म की कहानी
तैरती तृष्णाओं में है।


धियुतीधारा के मायाजाल से
लिपटे सर्प का जीवन
जटाओ, रुद्राक्षो का मनोरंजन
बर्फीली गुफाओ में है।

एक भटका मछवारा बीच समन्दर मे
खुद के डर से जूझता
पतवार और धुप की किरकिरी
किस दिशा जाये
विचारों की व्याधाओ मे है।

एक कवि के सियाही मे बहते
कुछ भावना और कल्पना
पन्नों पर बिखरे जैसे तैसे
पूर्ण होने की अभिलाषा मे
किताबो मे बंद है।

----- कीर्ति राज----

No comments:

Post a Comment